Update 05 Last update mai aap ne dekha kaise maa(माँ) mayake chali or papa ki dusari Sadi bi go gai thi...
तो अब मेरी सौतेली मां और पापा घर में प्रवेश करते हैं । तब सब घर के सदस्य सुबह का नाश्ता कर के हॉल में बैठे थे।
सब पापा के साथ दुसरी औरत को सादी के जोड़े में देख चोक जाते है । पापा सब को कल की की हुए घटाना का विस्तार से वर्णन करते है । सब को मां के लिए दुखी थे की पापा की दूसरी सादी हो गई हे और उस बिचारी अभागन को तो पता भी नई था । की उसका पति जिस के साथ वो किसी पराई औरत को देख तक नई पाती थी उसने तो दूसरी सदी ही कर ली हे । अब मां का क्या होगा ये सोच सब के सब सोच में डूब गई।
कुछ देर बाद सोलेती मां को लेके पापा गेस्ट रूम में ले गई । और खुद मां और उनके बेडरूम में आके ख़ुद की किस्मत को कोस रहे थे।
उधर माधुरी मम्मी खुद के मन में आ रहे विचारों को सोच सोच के उनकी आंखे नम हो गई थी। बिचारी मां ने क्या क्या सपने देखे थे उनके होने वाले पति के लिए । बेसक माधुरी एक गरीब परिवार से आति थी पर माधुरी ने अपने होने वाले पति के लिए वो तोफा बचा के रखा था जो सायद आज कल सायद ही कोई पत्नी अपने पति के लिए बचा पाती है । हर पुरुष चाहता है कि उसकी पत्नी उसे सुहाग रात को ये तोफा उसे दे पर हर पति इतना नसीब वाला नही होता । क्यू की जादातर औरत को उसके आशिक सादी से पहले ही औरत के जिस्म को निचोड़ के सारा खजाना लुट लेते है। लेकिन मेरी सौतेली मां ने इतने सालो से सिर्फ़ उनके होने वाले पति के लिए कौमार्य नामी खजाने को बचा राखा था।
पर बिचारी माधुरी के लिए खुद के पति को किसी और के साथ बाटना हरगिज़ गवारा नई था। पर अब कुछ नई हो सकता था। माधुरी ने जब सूना की उसके पति की पहली पत्नी घर छोड़ के चली गई है तो माधुरी के मन में दो भाव थे। एक तो इंसानियत के नाते उसको बुरा लगा की एक औरत का घर खराब हो रहा है । और सायद बिचारी को जब दूसरी सादी की बात का पता चलेगा तो उसपे क्या गुजरेगी । और माधुरी कही ना कही खुद को दोषी मान रही थी को दो बच्चो को मां के साथ उसके वजह से अच्छा नई हो रहा है।
लेकिन माधूरी भी थी तो एक पतिव्रता पत्नी और वो खुद थी बी जवान लड़की वो कैसे देख सकती थी उसके पति को किसी और को बाहों में । इस लिए माधुरी अंदर ही अंदर खुश थी कि उसकी सौतन पहले ही घर छोड़ के जा चुकी है।
वैसे तो मेरी माधूरी मां एक दम नई जमाने की पढ़ी लिखी लड़की थी पर वो एक संस्कारी लड़की थी । और माधूरी मां के लिए एक पुरूष के साथ सादी के बंथन में बंद जाना बहोत बड़ी बात थी। उनके लिए पति ही उनके लिए सब कुछ था । बेसक सादी मां ने मजबूरी मे की थी पर अब उनके लिए पापा ही सातों जनम के साथी थे। माधुरी मां पापा को अपना सब कुछ सादी होने के बात मन ही मन सोप चुकी थी।
माधुरी ने अपनी सुहागरात के कई अपने सजा के रखे थे । पर बिचारी को क्या पता था कि वो उसके पीता की उम्र के मर्द साथ सादी करेंगी। बिचारी माधूरी सुबह से रात तक अपनी आंखों के आसू को रोक अपने पति के इंतजार में बेड पे बैठी रही। पर कोई आया ही नई ना घर के लोग नही उसका पति।
बिचारी माधुरी थक हार के उसी सादी के जोड़ में सो गई।
अगर आप माधूरी को इस सोता देख लेते तो वही उसके सौन्दर्य में डूब के मार जाते पर फिर भी क्या करे बिचारी खुद की किस्मत को कोस के सौ गई।
लेकिन सायद माधुरी मां को पता नाई चला पर घर के मर्दों की नजर माधुरी की सुडौल स्तन से उभरती छाती से हट नई रही थी। और माधुरी के सौंदर्य को देख सब मर्द पापा से जल रहे थे की एक रूप की रानी कम थी क्या इस रूप की राजकुमारी को भी ले आया है बिया कर के।
अब हम चलेंगे उस तुफानी रात को जब पापा और माधुरी कि मुलाकात हुए थी । पर इस बार हम देखते ही की मेरी मां और मै तब कहा और क्या कर रहे थे।
मां और में साम तक तो सब के साथ बातो में व्यस्त रहे और जब रत हुए तो जोरो को बारिश होने लगी थी। में और मां एक ही कमरे थे । और सोने के लिए बिस्तर सही कर रहे थे । की तभी तेज़ बारिश की हल्की हल्की बूंदे मां और मेरे बदन को चुने लगी थी मां का बदन आधे से ज्यादा खुला हुआ नग्न था । मां ने बस पेटिकोट और ब्लाउज पहना था जो मां अक्सर पहनती थी सादी से पहले ।
ससुराल में मां रात को नाइट गाउन या सारी पहनती थी घर के अंदर पर मायके में मां को आदत थी ब्लाउस और पेटीकोट को घर और गांव में पहनने की ।
कुछ सालों पहले दादाजी ने मां को इसी पेटीकोट और ब्लाऊज में देख मां की सादी पापा से करवा दी थी । ताकि उस पेटिकोट को एक दिन खोल के मां के यौवन को भोग सके ।
लेकिन उनको क्या पता था कि इतने खुले कपड़े पहनने वाली लड़की सादी के बाद ससुराल में आके बैकलेस भी नहीं पहनेगी और इतनी ज्यादा संस्कारी होगी । मां बस अपने मायके में खुद के गांव में खुल कर कपड़े पहनती थी । बाकि उनको ये पता था कि पराई घर में केसे रहते है । मां समय के साथ धीरे धीरे ससुराल में भी कंफरटेबल होने के बाद बैकलेस और स्लीवलेस ब्लाउज़ पहनने लगी थी।
मां को पानी का ठंडा ठंडा स्पर्श अच्छा लग रहा था और मां सारा दुःख भुल के मस्ती में आंखे बन्द कर के बारिश का मजा ले रहि थी । मिट्टी की खुश्बू और मां का सौन्दर्य मुझे बहका रहा था । में मां के पास गया और मां को पिछे से जकड़ लिया और मेरी छाती मां की नंगी पीठ से चिपक गई और मेरे बदन में एक करंट सा लगा। मेने धीरे धीरे मेरे पानी से ठंडे हुए हाथों से मां की गोरी गोरी मक्खन जैसी मुलायम त्वचा को सहला दिया । मेरी उंगलियों मां की नाभि के आस पास चल रही थी । मां को मेरा आलिंगन थोड़ा करना पसन्द तो था पर एक दर भी था की कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा ।
मां - बेटा में तुझे बोला हैं ना कि मुझे इस मत आलिंगन दिया कर कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा , देख दरवाज़ा भी खुला है। मां ने धीमी आवाज़ में बोला जैसे कोई नई नवेली दुल्हन अपने पति से बोलती है।
में - मां कोई नई आयेगा और देख लिया तो आप क्यू डर रही हो में कहा आप का आशिक हु में तो आप का बेटा ही हू। और मां को आलिंगन से आज़ाद कर के दरवाजा बंद कर दिया।
मां - क्या बोला बदमाश । अभी पताती हू तुझे । और मुझे जूठ मुठ का थपड़ मारा ।
में भी मां से जूठ मूठ का नाराज होकर मां से दूर चला गाया। तभी मुझे मेरी किस्मत पे यकीन नई हुआ ऐसा पहले कभी नई हुआ था । मां ने मुझे खुद पीछे से अपनी बाहों में समा लिया और मां के मुलायल नाज़ुक लिप्स मेरी गर्दन को चूम रहे थे । इस अचानक हुए प्यारे से हमले से मेरा पूरा बदन ठंडा पड़ गया । और तभी मां मेरे कानों में बोली।
मां - मेरे बच्चे..... आई लव यू .......
में - मां आई लव यू ..... मेरी प्यारी मम्मी.... और में सीथा हो गया और मां की बाहों में डूबी गया ।
तभी गांव की लाइट चली गई एक बहोत बड़ी बादल गरजने की आवाज़ के साथ । हम मां बेटे दोनो आवाज़ से थोड़ा डर के एक दुजे में और ज्यादा समा ने लगे। फिर हम दोनो थोड़ी देर बेड पे बैठ के बाते की और फिर सोने की तयारी की ।
रूम में सिर्फ़ एक ही। बेड था और ज्यादा बड़ा भी नई था । हम दोनों बेड पे लेट गई लेकीन मां को ठंड लगने लगी तो हमने एक चद्दर ओढ़ ली और हम दोनो एक दुसरे की बाहों में बाहें डाल के सो गई ।
मेरी नींद करीबन 2 बजे खुल गई और मुझ जोरो की सुसु लगी थी तो में घर के बाहर बने सोचालय में जाने लगा और हल्का होकर बाहर आया अभी भी बारिश हो रही थी हकली हलकी। मेने आसपास देखा तो मेरी नज़र पास में बने तबेले पे पढ़ी जिस में से धीमी धीमी दिए को रोशनी लकड़ी से बनी खिड़की से आ रही थी।
में उस और चल दिया हाथ में काला छाता लिए। में जैसे जैसे पास पहोचा मुजे बारिश की आवाज़ के साथ एक औरत की मस्ती भरी सिसकारियां भी सुनाई देने लगी। में खिड़की के पास जाके उनकी आवाज़ सुनने लगा की एक जोरदार कड़ाके के साथ बारिश अपनी पूरे जॉस से गिरने लगी और मुझे अब कुछ भी अच्छे से सुनाई नई दे रहा था। और मेरे सोचा अंदर खिडकी खोल के दिखाता हूं कोन है पर खिड़की अंदर से बंद थी । ये जो भी था बड़ा पक्का खिलाड़ी मालुम होता था । इस लिए पूरी तयारी कर के छूदाई कर रहा था और समय भी क्या मस्त चुना था तेज़ बारिश में कोई सुन तक नई सकता था ना ही कोई बाहर आएगा इतनी तेज़ बारिश में। में बड़ा उत्सुक था की कोन सम्भोग सूख ले रहा है और मुझे लग ही रहा था को ये कोई प्रिमी जोड़ा होगा क्यू कि सादी सुदा जोडा क्यू इस बाहर करेगा खुद का बेडरूम छोड़ के इतनी तेजी बारिश में । में पूरे तबेले के आसपास कोई जगह खोजने लगा की कोई तो छेद मिल गई जहा से में देख सकू सम्भोग क्रीडा।
तभी मुझे पीछे के दरवाजे से तेज रोशनी आती दिखी और मेने देखा उस छेद में तो मुझे सिर्फ औरत और मर्द की टांगे देखी वो भी साफ़ नही देख रह था kyu ki सोहनी उनके ऊपर काफ़ी कम ही पड़ रही थी । लेकीन में इतना देख पाया था अच्छे से की औरत की टांगें मस्त फुली हुए थी जैसे कोई बड़ी उम्र की औरत हो और लड़का तो डेढ़ पसली था बिलकुल जवान और पतला सा ।
तभी दीया भी भुज गया और मुझे अब कुछ भी नई देख रहा था नाही कोई आवाज़ आ रही थी बारिश की वजह से और मुजे अब ठंड भी लग रहा थी में भीग भी। गया था थोड़ा थोडा बारिश मे... तो मेरी मेरी ठंड से हालत पतली हो गई और में वहा से भाग के मां के पास रूम मे आगया। और मैंने अपनी भीगी हुई शर्ट निकाल दी और लोअर भी निकल फेका । में सिर्फ अंडरवेयर में था और मेरे मुसल अभी अभी देखे नजारे से एक दम तन के खड़ा था।
मेरे दिमाग में ये चल रहा था कि ये लड़का तो शायद मामा ही थे लेकिन वो औरत कोन थी जो मामा के लिए यहां तक तबेले में चुदाने आई थी इतनी रात को ...
और तभी मेरी नजर मां के ठंड से कप रहे बदन पे पड़ी । मां के बदन से वो चंदर दूर हो गई थी इस लिए मां ठंड से काप रही थी।
मुजे मां की अर्थ नंगा बदन कुछ कुछ दिख रहा था। मेने उनको चंदर ओडा दी और ख़ुद भी चंदर में घुस गया। मेरे दिमाग पे अब मेरा काबू नहीं रहा था । अब मेरा लोड़ा मेरा दिमाग चला रहा था । इस लिया मैने सोचा मोका अच्छा है मां के बदन से खेलने का । और मैने सोच लिया कि मां को नंगा कर के मां के बदन को सहला दू।
मां के ब्लाउस को खोलना इतना मुस्कील नई था क्यू कि मुझे सिर्फ मां के ब्लाउस का एक हूक खोलना ना था जो था भी मां की पीठ पे तो मेने बहुत धीमे से ब्लाउज को खोल दिया।
जब मेरे सामने मां की रसिली गोरी गोरी पीठ आई तो मेरा लोड़ा उछल कुद करने लगा मैने भी मेरे मुसल को आजाद कर दिया और में ने लोड़ा बाहर छेद से निकाल लिया । मेरा लोड़ा तन के लोहे की रोड़ जैसा हो गया था ।
मैंने मोबाईल से थोड़ा लाईट कर के मां के बदन को निहारने लगा । मेरी हिम्मत इस लिए इतनी हो रही थी क्यों की मुझे पाया था मां की निंद कैसी है । मेरी मां एक बार सौ गई तो सुबग ही जगती थी । लेकिन ये बात भी थी की जब भी मां की छूत के आसपास भी मेरा हाथ जाता मां तुरत जाग जाती थी । मां की निंद कुछ ज्यादा ही गहरी थी पर छूत उसे भी ज्यादा संवेदनशील थी और या मां के निप्पल भी इतने ही संवेदनशील थे। ये मेरी किस्मत ही थी । तभी मां ने करवट ली और पीठ के बल सीथा होकर सोने लगी। मां के नंगे चूंचे देख मेरे मूंह से पानी निकलने लगा ।
पता नई आप को कैसे बताऊं मां के स्तनों के यौवन का जादू क्या था । में ये नई कहता की मां से खूबसूरत कोई औरत नहीं ही पर हा मेने आज तक मां के स्तनों और निपल से सुन्दर किसी औरत के नही देखे ना किसी हॉलीवुड या पॉर्न एक्ट्रेस के पास मां जैसे वक्ष थे । और मां के स्तनों की त्वचा जेसे रूई या पनीर जैसी मुलायम थी । गोरे गोरे वक्ष स्थल पे चॉकलेटी निप्पल । देख के ही चूसने का जी करने लगे । लेकिन में चूस नई सकता था नहीं तो मां पक्का जाग जाती । और मुझे मां के बदन से और खेलाना और निहारना था।
मां के स्तन ना बड़े ना छोटे थे सायद इसी लिए अभी तक औरों के जैसे लटके नई थे और सीना तान के खड़े थे ।
मेरी हवस मां के अर्ध नंगे बदन को देख देख और बड़ रही थी । बहोत धीरे धीरे से मां के पेटिकोट के ऊपर कर दिया लेकिन मां कुछ इस लेटी थी की उनका पेटीकोट उनके नीचे दबा हुआ था इस लिए पूरा उपर नई हुआ । फिर भी मेरी मां की जांग नंगी हो चुकी थी । मेरे मां की जांघो को स्पर्श किया तो ऐसा लगा जैसे दुनायाकी सबसे मुलायम वस्तु को छू रहा हू। मां के कुल्हे इतने मुलायम थी की में सब्दो में बया भी नई कर पाऊंगा । मां के पैरो पे हलके हलके बाल थे पर उनके घुटनों के ऊपर के हिस्से में बिल्कुल भी बाल का नामो निशान नई था । में पेटिकोट को सिर्फ घुटनों तक उठा पाया था पर मेरे पेटीकोट के हाथ डाल कर मां के कूल्हों तक उनके बदन को सहला रहा था। अब मे ये सब कोई जल्दबाजी में नई कर रहा था नई तो मां जाग भी सकती थी इस लिए घड़ी में अब सुबह के 4 बजे गई थे । और मेरा मन मान नही रहा था बिना मां की छूत देखे । मेने हाथ में मोबाइल लिया और मां के घुटनो से होते हुए कूल्हों तक ले गया और फोटो खींचा बहुत सारा। और जब मेने फ़ोटो देखे तो मेरा मुंह उतर गया क्यू की कोई फोटो सही नई आया था। मेरे फिर भी मां के नंगे बदन के बहोत फ़ोटो खींचे जैसे स्तन के।
फिर मेने सोच अब तो 5 बज गई है मां कभी भी जाग सकती हे।
मैंने मां को अलिंगन दिया और एक पर उनके ऊपर रख के उनकी नंगी पीठ को सहलाने लगा । मां के निप्पल मेरी छाती से दब के सिकुड़ गई थे। मेरे मन में अब थोडा डर भी था की अगर मां जाग गई तो क्या होगा जब मेरी बाहों में खुद को अर्थ नंगा पाएगी । फिर भी में कुछ कर नई सकता था अब ब्लाउस को वापस मां के नंगे बदन को पहनाना नामुनकिन था। और मेरा दिल भी नही मान रहा था मां से दूर जाने का । तभी मां बोली पड़ी....
मां निंद में - वीरेंद्र जी आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हे हमने तो सात जनम साथ बिताने की कसमें खाई थी और इस चुडेल से कैसे सादी कर सकते है। आप ने तो खुद की बेटी जैसी लड़की से सादी कर ली छी.... मुझे तो सोच के ही घिन आति है ,....
और तभी मां को सपने में कुछ ऐसा देखा की मां रोने लगी और मुझ से कस के लिपट गई । तभी मां निंद से जाग गई और मां का पुरा बदन पसीने से भीग गया था और रोने लगी थी।
तो मैने भी जाग ने का नाटक किया और मां को शांत किया जैसे तैसे । मां और में दोनो उपर से नंगे थे पर मां को अभी कोई होस ही नई था । मां अब बेड पे बैठ गई थी और मुई अपनी बाहर में पूरा समा लिया और मुझे चूम रही में उनका पति हु।
मां की आंखे बंद थी और शायद मां मुजे पापा समझ रही थी । मां के इतने करीब उनके नंगे बदन से चिपका मेरा बदन पूरा गरम हो चुका था और हम दोनो पसीने से भीग रहे थे इतनी ठंड में भी। मां रोने रोते बोली,.....
मां - वीरेंद्र जी मुझे छोड़ के कभी मत जाना... में आप के बिना मर जाऊंगी..
मां मुझे इसे सहला और चूम रही थी की मुझे समझ में आगया था को मां को इस वक्त बहोत ज्यादा ही इमोशनल सपोर्ट और शारीरिक संबंध बनाने की जरूरत थी और मां को बिलकुल भी होस नही था।
अगर में अभी मां को चोद देता तो सायद मां इस हालत में नई थी की मुई कुछ बोल पाती उलटा खुद ही मुजे अपना यौवन समर्पित कर देती । पर ये सब सिर्फ तब तक होता जब तक मां को होस नई आता । होस आने के बाद जब मां को पता चलाता की उसने खुद के सगे बेटे से ही शारीरिक संबंध प्रस्थापित कर लिया है तो मां जीते जी मर जाती या खुदखुसी कर लेती ।
और में भी मां को तब भोगना चाहता था जब मां खुद मुझे पूरे दिल और बिमाग से अपना ले ना की तब जब मां उसके पूरे होसो आवाज़ में ना हो। लेकिन बात ये भी थी की में खुद को रोक नई पा रहा था क्यू की मां ख़ुद मेरे पास मेरी बाहों में अर्थ नंगी आलिंगन में कैद थी।
मेने मां को बहोत देर तक अपने आलिंगन में रखा और उनके गले और मूख को चूमा ताकी मां को ये भी ना लगे की उनके करीब कोई नई हे। मे मां को पापा का अहसास देना चाहता था ताकि मां अपनी साथ हुए दर्द को भूल सके जो उन्होंने सपने में देखा था । और में ये तो समझ ही गया था की मां मुझे खुद का पति समझ के लिपटी हुई ही । में मां की इस गलत फेमी को इस हालत में नई तोड़ सकता था । मेने मां को अपनी बाहों में बेइंतहा प्यार बरसा दिया ।
फिर जब मां शांत हुए तो मैंने मां को लेटा दिया और मां वापस सौ गई । और मुझे भी बहोत निंद आ रही थी क्यूं की में तो सोया ही कहा था । मां और में एक दुसरे से चिपक के सो गई।
थोड़ी देर बाद मां तो जग गई पर में सो ही रहा था मां ने खुद को नंगा पाया और चोक गई की मेरे सीने से सीना चिपका के नंगी सो रही थी । मां का सिर घूम रहा था की हुआ क्या था रात में ... में अभी तो युवी के पापा की बाहों में थी और अब युवी के पास केसे और तो और मेने कितना बुरा सपना देखा था,... थोड़ी देर बाद मां को सब याद आया कि वो तो घर छोड़ के मायके आई है।
मां की आंखे भर आई थी अब क्यों को उनको लगा पता चल गया था की जिस से मां चिपक के अर्थ नंगी सो रही थी वो उनका पति नई पर बेटा था । और मां को लगा कि मां ने खुद ही उनका ब्लाउज निकाला होगा नींद में ...और तो और मां को वो भयानक सपना भी याद आ रहा था और मां और परेशान हो गई क्यू की मां का मानना था कि सुबह के सपने सच होते है।
मां फिर मेरी बाहों से निकलना चाहा तो मां की नजर मेरी और पड़ी । में किसी छोटे बच्चे के जेसे मां से लिपट के सोया था । मां मेरे मासूम मुख को देख ममता के कुवे में डूब गई और सब कुछ भूल के मेरे सर में हाथ डालकर मेरे बाल सहलाने लगी।
कैसी ने सच ही कहा है कि बेटे के लिए मां की गोद ही स्वर्ग है पर ये भी उतना ही सच है कि मां के लिए ख़ुद के बेट के मुंह पे मुस्कान देखना ही स्वर्ग का आनद दिला देता है। मां मुझे निहार रही थी की में कितने सकून से सोया हु। मां मुझे देख सब दुख भूल के संतोष पूर्वक मुस्करा रही थी जैसे अब उनको और कुछ नई चाहिए। तभी मां के निप्पल तन गई जैसे एक मां के तन जाते है खुद के बालक को स्तनपान कराते वक्त और मां की आखों के सामने वो दृश्य आ गया जब मैं का के स्तनों का मर्दन किया करता था और मां मेरे स्तन मर्दन से ही चरम सूख प्राप्त कर लिया करती थी क्यू कि उनके स्तन बहुत ही संवेदनशील थे ।
आज मां को मेरे ऊपर बहोत प्यार आ रहा था और मां की ममता चरम सीमा पे आ गई थी । इसका एक ही कारण था और वो था उनका अकेलापन । क्यू की जब तक पापा मां के आसपास थे पापा मां को बहोत ज्यादा ही ख़ास महसूस करवाया करते थे और मां के बदन से हर पल खेला करते थे और मां को भी पापा का मां की और अफेक्शन काफी रास आता था । जब से उनकी लडाई हुई थी तब से पापा और मां के बीच दूरियां आ गई थी और ये लडाई करीबन एक महीने से चल रहीं थी जिस का मुझे कोई अंदाजा नई था मुझे तो तब पता चला जब वो दोनो खुले में लड़ने लगे थे ।
मां के गोरे गोरे स्तनों पे डार्क चॉकलेट जेसे लम्बे लम्बे निप्पल अकड़ के तन गई थे जो मेरे मुंह से कुछ ही दूरी पे थे।
##अब में सोया हुआ हू और अब मां आप को खुद के मन के विचार बया करेगी.....## में हु सुमित्रा.... और ये ही मेरा लाडला यूवी देखो कैसे छोटे बच्चे के जैसे सोया है मेरी गोद में... पता नई मेने उसे वीरेंद्र केसे समझ लिया और ऐसे बिना ब्लाउस के उसके साथ सो रही हू .. मुजे तो अच्छे से याद भी नई आ रहा की क्या सपना था क्या हकीकत पर में इतनी बेशरम केसे हो सकती हू की खुद के बेटे की बाहो में बिना ब्लाउज के लेटी हू ... और मैने कितना बुरा सपना देखा आज तो... लेकिन में अब उस सपने के नही याद करना चाहती...
देखो तो मेरा लाल केसे सोया ही मेरे सिने पे सर रख के...
मुझ अभी याद ही केसे वो कभी ऐसे ही सोया करता था और सुबह सुबह दूध पीने के लिए रोया करता था और में अपना ब्लाउस खोल के उसे दूध पिलाती थी.... लेकिन में ये भी नई भुली हू की में कितनी बुरी मां थी जो अपने ही बेटे के स्तन मर्दन से चरम सुख की प्राप्ति कर लिया करती थी... में ने कभी खुद से ऐसा करना नही चाहती थी पर में क्या करती मेरे निप्पल ही इतने संवेदनशील है तो मैं क्या करती....
पता नही क्यों मेरा मन कर रहा है की में ऐसे ही मेरे बेटे के साथ लेटी रहूं .... और ये क्या मेरे ये निप्पल क्यू अकड़ रहे है... नही ये में क्या सोच रही हू.. अब तो वो बड़ा हो गया है में केसे मेरे जवान बेटे को अपना दूध पिला सकती हू.... लेकिन आज मेरा मन बहोत हो रहा था कि में अपने बेटे को मेरा दूध पिलाऊ और वो मेरे निप्पल चूसे जैसे बचपन मे चूसता था... मेने धीरे से मेरा एक निप्पल मेरे बेटे के मुंह में रख दिया और उसे निहारने लगी...
थोड़ी देर तो युवी ने कोई हरकत नई किया पर खुच देर बाद वो मेरे निप्पल को चूसने ने लगा और मेरे हाथ पर सब कांपने लगे उसके स्पर्श मात्र से और में जैसे स्वर्ग में ही चली गई थीं.... मैने उसे बाहों में भर लिया और उसके बालों को सहलाने लगी और कुछ ही देर में मेरी भीगी भीगी छूत से पानी की एका एक थार निकलने लगी और मेरा पेटीकोट भी मेरे काम रस से भीग गया....
में थोडी देर मेरे बेटे से चिपक के सोई रही...
और कुछ देर में मेरे सर से सारा नासा उतरने लगा और में खुद को कोसने लगी की मैंने क्या कर दिया मेरे बेटे के साथ ... उसे पता चलेगा तो क्या सोचेगा मेरे बारेमे.... में ममता से उतेजित होकर उसके उसे स्तनपान कराया था पर मेरी ममता कब हवस में बदल गई मुझे खुद भी पता नई चला... और अब मुझे खुद पे बहोत गुस्सा रहा था...
और में उसके बाद बेड उठ कर ब्लाउस पहन लिया और नहाने जाने लगी... तभी मैने देखा कि मेरा भाई मां को पीछे से आलिंगन कर रहा है और मां भी उसे कुछ बोल नहीं रही थी...
मेरे मुझे देख मां और भाई एक दूसरे से अलग हो गई और वहा से जाने लगे...
To be continued.......
आगे आने वाले अपडेट में आप को दिखाया जाएगा की मां ने क्या सपना देखा था.....
माधुरी पर गिद्धों का नजर पड़ चुकी है। माधुरी अभी सुमित्रा से मिली भी नहीं है और जलन देखने को मिल रहा है। सुमित्रा को भी सपना आ चुका है। यूवी का रोल बेहद अहम हो जाता है ऐसे में की कैसे दोनों माँ को एक करता है। माँ बेटे के बीच रोमांस शुरू हो चुका है। बेशक नींद में ही सही। सुमित्रा ने भी माँ और भाई को गले लगते देख लिया है। बस ये अभी साफ नही हुआ की सुमित्रा की कौन सी माँ है सौतेली या सगी। यवी ने भी रात में जिसे देखा होगा यही होंगे।।
अदभुत लेखन मित्र।
Update 06
maa(माँ) kaa Sapna TO last update mai aap ne pada ki meme or maa(माँ) ne ek dusare k sone kaa fayada utha k ek dusare se karib aa gai....
ab Aaj aap koo vo khvaab dekhata hu joo maa(माँ) nind mai dekh k dar gai thi.....
kyu ki yeh ek sapna thaa maa(माँ) ne joo dekh vo kabhi asal duniya mai posible hi nai thaa bss maa(माँ) kaa dar sapane k jariye bahar aaya thaa....
Abhi scene yeh he ki maa(माँ) papa k bedroom mai aati he or papa se guess mai ladane lagati he ki aapne mere Hote hue dusri Sadi kyu kari...iss wakt kamare(room) mai teen log he maa(माँ) papa or souteli maa(माँ)....
maa(माँ) - Bobo na yuvi k papa kya kami thi muj mai joo iss karam jali se sadi ki aapne....
Papa - Guess mai Sumitra... Tum Kami ki baat karti hoo.. har vakt muj pe sak karati thi tum.. or ha yeh meri darm patni he jara tamij se baat Kiya Karo nai to muj se bura koi nai hoga....
maa(माँ) - Thoda rote hue.. Acchaa to mai kon hu phir aap ki...jara to saram karo yeh hmari beti ki umar ki he.. use pata chalega to kya sochegi hmari bacchi...
Papa - Tum aab keval(only) mere baccho ki maa(माँ) hoo or kuchh nai.... or ha dekho tumhe bada ghamand thaa na tunhare jism pe.. joo ese blouse pahana karati thi jis se sare mard tumhe dekhe....to dekho yeh meri nai Bibi tum se kai guna javana he or khubsurat...
maa(माँ) - Chiii.. aap itane besharam honge muze pata nai thaa.. mai keval(only) aap k liye pahana karati thi.. vo sab..
Papa - halanki fayada kya thaa maira(mera) to tumhe dekh k.. addhe din to tum muj se Ruth k rahati thi or baki wakt baccho k sath muze kaha wakt Diya he tumne... iss liye maine Sadi kr li dusri... or papa ne Madhuri k gahane utaarne lage...
maa(माँ) yeh dekh samaj gai ki aaj inaki suhagraat he to aab kya hoga.. or maa(माँ) khun k aansu ro ragi under se or bahar unki lal lal hue aakho se yeh pata chal raha thaa...
Tabhi Madhuri mom(मम्मी) boli...
Madhu maa(माँ) - (Papa se dheere se boli taki maa(माँ) sun na sake..) mukhi ji kyu na hum iske samane suhagraat manai.. iss koo bi pata chalega dard kya hota he...
( Dekho viewers yeh ek sapna he to yaha kuch bi hoga Bina logic k..
or ha papa ne maa(माँ) koo kuch Hollywood sexual movies dekh rakhi thi.. to unka subconscious mind unko vahi sab dekh raha thaa..)
Papa maa(माँ) k pas aake maa(माँ) koo kas k gale laga kete he or unse mafi magate he or maa(माँ) k lips koo chus chus k maa(माँ) ki lipstick Tak nikal dete he....or to thi hi papa k pyare ki bhukhi maa(माँ) sab bhul k aakhe band kr k maze le rahi thi...
ki tabhi papa ne maa(माँ) k hatho koo kas k pakada or uper utha diya or usi wakt Madhuri ne maa(माँ) k hatho koo rashi se banth Diya yeh ek bdms Vali rasi thi Mulayam si pr majbut...
maa(माँ) ek dam dar gai or bina jal ki machali jese majale lagi or aakho mai aasu agai..
Madhuri ek bahot katil aada se maa(माँ) k samne aati he or maa(माँ) kaa pallu gira deti he or se bolti he..
Madhuri - sister aap bi vese kam nai hoo do baccho ki maa(माँ) hone k baad bi aap ne itna maintain kaise Kiya he... or inhe to dekho kaise tan k khade he... or maa(माँ) k boob jor se daba diye...
maa(माँ) saram se sar niche juka liya or bichari maa(माँ) kuch bolane layak hoo kaha Rahi thi.. pahali baar koi orat maa(माँ) k badan ki tarif kr rahi thi vo bi unse Chu kr... maa(माँ) ki choot(चुत) iss baat se gili hoo gai..
maa(माँ) - Ji aap dono esa mat karo muze Jane do..
Madhuri maa(माँ) - sister aaj to aap koo meri suhagraat dekh kr hi Jana he.. or ha dekho kaise aap k sohar maira(mera) komarya bhang karate he... Aap koo meri har siskariyo ki aavaj sunani padegi...
or Madhuri fulo se saje bed pe aake beth jati he...
Papa madhuri k pichhe se hug kr k mom(मम्मी) koo godi mai Sula dete he or khud bed k kinare pe takiye kaga k per fela k let jate he or.. papa or mom(मम्मी) kaa face maa(माँ) ki or thaa...taki maa(माँ) unko aache se dekh seke..
Kuch ese Madhuri or papa the... Ek duje ki baho mai....
or mom(मम्मी) koo chum chum k gila kr diya or unke gale koo to lal kr diya pura itana chusa yeh dekh maa(माँ) k under aah jalne lagi or maa(माँ) Puri jealousy aag babula hoo rahi thi...or dusari or Madhuri maze le rahi thi maa(माँ) koo dekh k.. ki kaise do baccho kaa dad use uski pahali patni k samne hi chum raha he....
Madhuri jaan bhuch k jor jor se siskariya leti he taki maa(माँ) koo jala sake...
Tabhi papa Madhuri kaa blouse khol k fek dete he or vahi Madhuri k ubhare or kase hue stano koo apani hatheli mai leke maa(माँ) koo dekha dekha k masalane lagate he...
Madhuri maa(माँ) - Aahhhh awwwww mere hone vale bachho k papa.. Dhree se kariye na mai kahin bhagi nai jaa rahi na Sumitra sister k jese aap jb chahe muze bhog lena mai aap ki hi hu...aahhh ahaa...
maa(माँ) - bss karo chi... Kitane gande hoo aap dono... or maa(माँ) apne hatho koo chudane ki puri kosis kr rahi thi.. pr bichari meri maa(माँ) mai itani sakti kaha thi unki hatheli to nazuk ped ki daki jesi patali thi...
Ab Madhuri maa(माँ) ek dam besharam orat k jese bed pe kahdi hue or papa koo pura nanga kr diya or last mai khud bi puri nangi hoo gai...
Jesi hi Madhuri nangi hue papa kaa loda aukat mai aa gyaa or papa ne Madhuri koo baho mai leke pura badan chuma jese koi bhuka baccha doodh pita he vese papa Madhuri k chote chote boob chus rahe the...
Madhuri - Aahhh ahah kato mat na... Aaucch .... maaaaa.....
To yeh sun k papa or jos mai aajate he or Madhuri ki choot(चुत) chatne lagate he... or maa(माँ) ki aakho mai akhe dal k maa(माँ) koo jalate or bolate he...
papa - Dekha Sulu tum se bi chota ched he meri bibi kaa... or Madhuri ki clitoris k dane koo pura muh mr leke chus lete he...
Madhuri bi pure Jos se papa kaa sath deti he or siskariya nikal rahi thi...
phir papa ne Madhuri ki choot(चुत) mai loda Dal diya ek bar mai pura or yeh Madhuri jesi kacchi Kali k liye bahot Ghatak huaa or Madhuri chilane lagi halanki thodi der mai vo normal hue or maa(माँ) k pas jeke dono chudai karane lage or Madhuri kaa rakt pure kamere mai thaa tab...
or last mai papa maa(माँ) ki suhag ki nishani nikal dete he or shindur bi saf kr dete or ... maa(माँ) kaa manglsutraa Madhuri koo pahana dete he.. or Madhuri ki choot(चुत) k rakt se uski maag bhar dete he..
yeh sab dekh k maa(माँ) nahee nahee bol k behos hoo jati he or jese hi sapne mai maa(माँ) behosh hoti he... maa(माँ) jag jati he nind se...
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