इससे पहले कि स्वाति और प्रमिला की running comentry continue की जाए मेरी एक बात सारे लोग सुनें जो लगातार मुझे पढ़ रहे हैं, यहां एक और मेरी कहानी " मेरा अतीत और वर्तमान, चूत की अनंत प्यास" इस फोरम पर है जिसे मैं रोज इसी तरह लिख रहा हूं दोनों कहानियों के एक साथ, मेरे सभी पाठकों से मेरा निवेदन है कि उस कहानी को एक बार जरूर पढ़े यदि अच्छी न लगे तो बेशक आगे न पढ़े किंतु एक बार तो पढ़ ही लोजिए।
चलिए अब उस कमरे में चलते हैं जहां दोनों सुंदरियां नग्न अवस्था में अपनी चूतें आपस में रगड़ रही है।
दोनों बहुत गर्म हो चुकी हैं मगर स्वाति जो अभी अभी बुरी तरह झड़ी है वो होश में है और उसे प्रमिला का सच जानना है , वह आलिंगन तोड़ कर अलग होती हुई प्रमिला को बिस्तर पर फिर से लिटा देती है और उसकी दोनों टांगों को पूरी चौड़ी करके बीच में बैठ जाती है और अपने क्रीम से सने हाथों से प्रमिला के चूचों की नोंक पकड़ कर उमेठने लगती है प्रमिला गनागना जाती है और aaaauuu aaaaiiiii ससीईईआईआई करती हुई तड़पने लगती है अब स्वाति अपने चाल चलती है दीदी मैं देख रही हूं, अरे दीदी नहीं पम्मो में जब पिछली बार आई थी तब तू कितनी सीधी और भगवान की भक्ति में डूबी हुई थी और मेरे साथ भी टाइम बिताती थी तेरा चेहरा और ये दोनों गोले भी ढीले ढाले और निस्तेज थे, अबकी बार आई हूं तो कैसी मटक मटक कर चूतड हिलती हुई घूम रही है और ये दोनों गोले भी बहुत उछल कूद मचाए हुए है और मेरी तरफ तो तेरा ध्यान बिलकुल भी नहीं है, और दावे से कह सकती हूं तेरे रंग ढंग देखकर जरूर तेरी चूत भी पेटीकोट में दिन भर पनियाई रहती होगी, मेरी रज्जो अब बता कौन है जिसने तेरा ये हाल किया हुआ है। प्रमिला पहले ही स्वाति की अपने चूचों पर मसलाई की वजह से और पिछले एक घंटे से स्वाति की हालत देखकर बुरी तरह चूत में उबाल खा रही थी और उसकी शर्म ओ हया रफ्फोचक्कर हो चुकी थी मगर फिर भी ये मां बेटे के संबंध की बात थी कैसे खोल देती , सिसियाते हुए ही बोली अरे मेरी भोली भाभी ऐसा तो कुछ भी नहीं है तुझे कोई गलतफहमी हो रही है स्वाति समझ गई अभी थोड़ा पर्दा बाकी है उसने हाथ हटा कर थोड़ी पीछे होकर अपना मुंह प्रमिला की नदी बहती चूत के मुंह पर रख दिया और उसे बुरी तरह चूसने लगी, उसके दाने को जीभ की नोंक से कुरेदने और सहलाने लगी, प्रमिला पूरी ताकत से छटपटाई और बोली स्वाति ये क्या है री पहली बार किसी औरत ने यहां चूमा और चूसा है और वो बुरी तरह अपने हाथों और ऊपरी धड़ को हिलाने लगी और बोली मैं मरी री मेरी मां कोई बचाओ री मुझे haaaa aaaaa aaaaiiii और अपने ही हाथों से अपने मोटे मोटे बूब्स जोरों से दबाने लगी तभी स्वाति ने अपना मुंह उसकी चूत से हटा लिया और वो पलंग से उतर गई, प्रमिला अचानक बंद हुई क्रिया कलाप से चौकी और आंखे खोली तो स्वाति को नीचे खड़ा पाया , तब उसने पूछा क्या हुआ स्वाति उठ क्यों गई, स्वाति बोली जब तुझे बताना ही नहीं है तो फिर मैं ही क्यों बेवकूफ बनू अपने दिल बदन की तमाम बातें बताकर, और वो धीरे धीरे पीछे होने लगी , प्रमिला ने उसका हाथ पकड़ कर अपने ऊपर खींचा और उसके गालों को चूमती हुई बोली स्वाति समझ न मुझे बहुत शर्म आ रही है इस पर बात करने के लिए pls ना बन्नो नाराज मत हो न,
स्वाति फिर से उठने को हुई तब प्रमिला ने उसे रोकते हुए कहा ये जो मेरे साथ हुआ है उसको एक पवित्र दो बच्चो की मां के लिए सुना पाना असंभव है मगर मुझे बड़ी शर्म आयेगी तू मेरा मुंह एक कपड़े से ढक दे और मुझे इतना गर्म कर दे मेरी शर्म टूट जाए और सब खोलकर तुझे सुना सकूं, ये सुनकर स्वाति मन ही मन मुसकाई और सोचने लगी मेरी चाल कामयाब हो गई, उसने पास ही पड़े एक सफेद पतले दुपट्टे को प्रमिला के मुंह पर रख दिया वो इतना पतला था की स्वाति उसका मुंह अच्छे से देख पा रही थी जबकि प्रमिला को तसल्ली हुई कि उसकी लाज को कुछ दीवार मिली। अब स्वाति पूरे जोश के साथ प्रमिला के ऊपर बोबे से बोबे चूत चूत मिलाकर सो गई और बोबे से बोबे को चूत को चूत से हौले हौले रगड़ने लगी और अपने हाथों को उसकी गर्दन के आसपास रखकर प्रमिला के कान में बोली हे वासना की जीती जागती मूर्ति जब तू चलती है तेरे चूतड की उठक बैठक से और साथ साथ तेरे विशाल पहाड़ों की उछल कूद से न जाने कितने लंडो का बंटाधार हो जाता होगा, चूत पर चूत की रगड़ाई से प्रमिला का संयम टूट गया था उसे इतना अधिक मजा आ रहा था जितना रवि का लंड जब उसकी चूत पर ऊपर से घिसता था तब भी नहीं आता था, वो जोरों से चीखने लगी थी आनंद के सागर में गोते लगाते हुए, स्वाति ने प्रमिला के दुपट्टे से ढके बालों पर हाथ फिरती हुई थोड़ा शांत करती हुई बोली मेरी जान वो कौन है अब तो बता, ना, मेरी रज्जो को दुपट्टे के ऊपर से ही उसके गाल पर एक गीला चूबन दिया, प्रमिला शर्म से मरती हुई बोली रवि वो रवि है न, स्वाति बोली हां मैने तुझे दिन में उसके कमरे में जाते हुए कई बार देखा है तो क्या रवि जानता है इस बारे में, प्रमिला ने हां में सिर हिलाया, तो स्वाति बोली इसका मतलब रवि तेरी मदद कर रहा उससे मिलने में, प्रमिला ने फिर हां में सिर हिला दिया, वो बुरी तरह शरमा रही थी स्वाति ने चूत रगड़ाई और बूब्स दबवाई में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी क्योंकि वो जानती थी जरा सी ढील राज को राज ही रहने देगी, वो फिर बोली हाय प्रमिला कितनी खुशनसीब है तू जो ऐसा बेटा मिला तेरा कितना ख्याल रखता है तेरी चूदाई की भी रखवाली करता है कितना बड़ा दिल है उसका।
प्रमिला ने सुनकर सोचा दिल नहीं उसका लोड़ा बहुत बड़ा है, लेकिन बोली रखवाली नहीं करता है, और चूत की एक टक्कर स्वाति ने उसी टाइम उसकी चूत पर मारी प्रमिला ठनक गई और बोली हो हो हो ooooo, रखवाली नहीं खुद चूसता है री मेरी चूत, क्या क्या स्वाति मुंह फाड़े प्रमिला को देखने लगी उसकी सारी गति विधि रुक गई थी प्रमिला समझ गई ऐसा तो होना ही था उसने कमान अपने हाथ में ली और स्वाति को उसकी पीठ से दोनों हाथों बहुत ताकत से जकड़ा और उसको पूरी पलट कर उसके ऊपर आ गई इस सब ने उसका दुपट्टा मुंह से उतर गया था प्रमिला ने दोनो हाथो से स्वाति के गोरे बॉब्स को जकड़ा और तेजी से उसकी चूत को स्वाति की चूत पर रगड़ने लगी , स्वाति रवि का नाम सुनकर फड़क गई एक बेटा मां की चूत से खेल रहा है और वो भी चूत रगड़ाई में प्रमिला का पूरा साथ देने लगी आह आह आह सस्सुयु sssuuu oh oh oh की आवाजों से कमरा गूंजने लगा, घर कोई और तो था नहीं सो दोनों निश्चिंत थी, स्वाति ने भी प्रमिला के बूब्स की नुक्कियां उंगलियों में पकड़ कर गोल गोल घुमाने लगी, हाय पम्मी तू कितनी खुशनसीब है घर में ही तेरा बेटा तुझे रगड़ रहा है जब तेरा मन करता होगा उससे चूत घिसवाने और बॉब्स पिलवाने दबवाने चली जाती होगी हाय री तेरी किस्मत अब तो रवि पूरा गबरू जवान हो गया है उसका लंड भी जोरदार हो गया होगा, इन बातों का ये असर हुआ प्रमिला पर की वो मर मर गई और स्वाति के लबों को बुरी तरह चूसने लगी, होठों की चुसाई ने दोनो की चूतों में आग लगा दी तेज सनसनाहट हुई और दोनों एक साथ झड़ने लगी , पानी का सैलाब सा उमड़ गया और पूरा चादर गीला होने लगा, सस्सस्स hhhoooo ooioo स्वाति प्रमिला स्वाती प्रमिला ऐसी आवाज गूंजती रही देर तक और दोनों धीरे धीरे ढेर होती रही, एक दूसरे को बांहों में समेटे हुए।
सारे पाठकों को सूचित करने में आता है कि मैंने इस कहानी को maa bete ka Safar 2 के शीर्षक से, लेखक मैं स्वयं, को एक नए thread के रूप में शुरू कर दिया है जिसमे जहां से मैने लिखना शुरू किया है वहीं से वो थ्रेड हो गया है ,अब आगे की कहानी आप सब को वहीं पढ़ने को मिलेगी
धन्यवाद,,