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कहते हैं कि जब मौत सामने हो तो पूरी जिंदगी आंखों के सामने से दौड़ जाती है। पर यह जरूरी नहीं कि देखने वाला मरने वाला ही हो। मारने वाले को भी यही एहसास होगा ऐसे सोच प्रतीक ने अपनी आंखें बंद करके अपनी जिंदगी देखी।
एक हमले में जख्मी हो कर नवयुवक प्रतीक का लौड़ा खड़ा होना बंद हो गया। अपनी बीवी को खुशी देने के लिए प्रतीक ने जुआरी और शराबी होने का ढोंग करते हुए मासूम लक्ष्मी को दो सेठ की ओर धकेल दिया। सेठ तो शरीफ निकले पर उनके नौजवान बेटों के पैर फिसले। विक्की और सन्नी ने लक्ष्मी आंटी का बलात्कार कर के लक्ष्मी को सुहागन की जिंदगी दी। आगे मौका मिला तो प्रतीक ने लक्ष्मी को दोनों लड़कों को सौंप दिया और गल्फ चला गया। वहां मोहम्मद बिन सलीम MBS को मिलकर प्रतीक की जिंदगी बदल गई।
MBS ने प्रतीक का ऑपरेशन कराया जिससे प्रतीक का लौड़ा अब हमेशा खड़ा रहता था और अब प्रतीक बाप भी बन सकता था। MBS के साथ किए सौदे के तेहत प्रतीक ने 3 साल तक MBS के हरम को खुश रखा क्योंकि MBS को लड़के पसंद थे। 3 साल बाद जब प्रतीक लौटा तब MBS ने उसे पैसों के साथ कई फायदेमंद सौदे भी दिलाए।
ऐसा ही एक सौदा था "मूलचंदानी बिल्डर्स"। मूलचंदानी सेठ का धंधा डूब रहा था और उसे वजह समझ नहीं आ रही थी। मूलचंदानी ने अपना धंधा औने पौने दाम में बेच दिया और अलग हो गया।
नए धंधे की आराधना करने आए प्रतीक सेठ और उसकी 9 महीने पेट से लक्ष्मी सेठानी को देख सब ने सोचा कि डूबता धंधा खरीदने वाले शक्ल से ही बेवकूफ है। आराधना के लिए लक्ष्मी ने सारी चाबियां मांग ली। जब सब प्रतीक ने दिए पार्टी का लुफ्त उठा रहे थे तब लक्ष्मी अकाउंट्स चेक करने लगी। जो बात मूलचंदानी सेठ 3 साल में नहीं कर सका वह काम लक्ष्मी आंटी ने 3 घंटों में कर दिया।
शाम ढलते हुए पुलिस ने 4 लोगों को चोरी और धोका करने के लिए गिरफ्तार किया तो बाकी अकाउंट्स के लोग सोच रहे थे कि घर में नौकरी जाने की खबर किस तरह बताएं। जल्द ही लक्ष्मी मैडम के नाम का खौफ बन गया और प्रतीक ने अपने बच्चे का स्वागत मूलचंदानी बिल्डर्स को फायदे में ला कर किया। बच्चा 2 महीने का हो गया तो लक्ष्मी मैडम उसे ले कर ऑफिस आती और पूरा दिन काम करती।
कुछ महीनों में प्रतीक और लक्ष्मी ने अपने कोर ग्रुप बना लिए जिन पर वह दोनो भरोसा कर सकते थे। मूलचंदानी बिल्डर्स जल्द ही मूलचंदानी इंफ्रा बन गया और बड़े बड़े कॉन्ट्रैक्ट लेने और पूरे करने लगा।
प्रतीक सीधे मालिक बना था और नीचे के लोगों को उस से घुलना मिलना थोड़ा मुश्किल लग रहा था। पर एक नाम रह रह कर प्रतीक तक आ जाता, शिघ्रपत्नी। हालांकि यह कौन है यह पता नहीं चला पर अगर किसी के साथ कुछ बुरा हो जाए तो बाकी लोग उसे कहते की शिघ्रपत्नी से तो तू बेहतर है।
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एक दिन सुबह प्रतीक से मिलने विशाल आया। विशाल 36 साल का इंजीनियर था जो प्रतीक का बायां हाथ था (लक्ष्मी दाहिना हाथ थी) और प्रतीक विशाल के भरोसे कंपनी ही नहीं अपने बेटे को भी छोड़ने को तैयार था।
विशाल की पिछले साल ही शादी हुई थी पर फिर भी वह आज बहुत परेशान लग रहा था। प्रतीक ने विशाल से मिलने का कारण पूछा तो जवाब सुन कर प्रतीक के होश उड़ गए। विशाल Syria में जा कर काम करना चाहता था।
प्रतीक, "विशाल तुम मुझसे बड़े हो, ज्यादा पढ़े हो और काबिल भी हो। तुम अगर चाहो तो मैं तुम्हारी तनख्वा बढ़ा देता हूं। सीरिया में जाते ही मारे जाओगे। सच सच बताओ, बात क्या है?"
विशाल अपना सर पकड़ कर बैठ गया। एक गहरी सांस लेकर बोला,
"आप को पता है, शीघ्रपत्नी कौन है?"
प्रतीक, "नहीं, पर इतना समझ चुका हूं कि वह बेचारा कोई अभागा है जिसका कोई काम नहीं बनता।"
विशाल, "मैं शीघ्रपत्नी हूं। मेरे मां बाप बहुत बचपन में अपना गांव छोड़ मुंबई भाग आए थे। एक वक्त का मुश्किल से खाकर गंदगी में बढ़े। आपस में सहारा, फिर दोस्ती और फिर प्यार हुआ। दोनों ने बहुत मेहनत कर अपने लिए एक घर एक जिंदगी बनाया। बचपन की भुखमरी और बीमारी के कारण उन्हें डॉक्टर ने बताया कि उनकी कोई औलाद नहीं होगी। दो दोस्त अपनी किस्मत को कोंस कर अपनी जिंदगी जीने लगे जब मां को 40 वे साल में गर्भ रह गया। मैं पैदा हुआ तो दोनों के लिए मैं एक आशीर्वाद था।"
विशाल ने दूर देखते हुए अतीत को खोला, "बड़ी मुश्किल से दोनों ने और मेहनत की। मुझे इंजीनियर बनाते हुए दोनों थक चुके थे। मैंने जो पहली नौकरी मिली वह पकड़ली और उन्हें आराम करने को कहा। यही मेरी मूलचंदानी बिल्डर्स से वफादारी है। मां मेरे हाथों में बच्चा देखना चाहती थी सो उसने एक खूबसूरत और पढ़ी लिखी लड़की से मेरी शादी करा दी। उस दिन दोनों बहुत खुश थे। पर वह दिन दोनों के खुशी का आखरी दिन था।"
प्रतीक ने विशाल के कंधों पर हाथ रखकर विशाल को अपना मन हल्का करने दिया।
विशाल, "सुहागरात की सेज पर अपनी नई नवेली दुल्हन को फूट फूट कर रोते देख मैंने उसे वजह पूछी। वह किसी और से प्यार करती थी और डर के मारे मुझ से शादी की थी। मैने उसकी उसके आशिक से बात करवा दी। दोनों तयार थे तो मैंने लड़की के पिता से बात की और अगले ही दिन अपनी बीवी की शादी उसके प्रेमी से करवा दी। मेरी शराफत के गीत गाते हुए सारे मुझे अकेला छोड़ चले गए। लोग शरीफों पर ही उंगली उठाते हैं।"
"मेरी मां ने मेरी दूसरी शादी करवा दी। मेरी दूसरी बीवी न खूबसूरत थी ना पढ़ी लिखी। पर उसे लगता था कि क्योंकि मेरी पहली शादी टूट गई है तो घर के सारे लोग उसके गुलाम बने। वह दिन भर बाहर जा कर मेरी पूरी जमा पूंजी उड़ाते हुए अय्याशी करती और फिर मेरे मां बाप को आ कर गालियां देती। मां बाप ने मेरे लिए उसे संभालने की कोशिश की तो वह और परेशान करने लगी। एक दिन उसका भांडा फूटा और मैने उसे डांटा।"
विशाल ने कड़वे घूंट पीते हुए कहा, "उसने बाहर जा कर तमाशा खड़ा कर दिया। सब को चिल्ला चिल्ला कर कहा कि मैंने उसे अपने बाप के साथ सोने को कहा है। मेरी मां उसे बेरहमी से पिटती है। उसे खाना पीना दुश्वार हो गया है।"
"इस से पहले की कोई कुछ बोल पाता, उसने मेरे खिलाफ तलाक का मुकदमा दायर कर दिया। जज को दोनो ओर की बात सुननी पड़ती है। मेरे पड़ोसियों ने मेरे और मेरे मां बाप के गुणगान करते हुए उसकी अय्याशियां बताई। मारने पीटने का काम अकेले में होता था कहने पर मेरी पहली बीवी ने मेरी तरफ से गवाही दी। जो मर्द सेज पर बैठी लड़की पर हाथ नही उठाता वह किसी और पर क्यों उठाए?"
"अपने सारे पासे उल्टे पड़ते देख उसने अपना पैंतरा बदला और कहा की मैं शीघ्रपतन से पीड़ित हूं। अपनी ना मर्दानगी को छुपाने के लिए उसे पीटता हूं।"
"जज चाल समझ गया और उसे एक फूटी कौड़ी भी नहीं देते हुए मुझे तलाक दे दिया। हालांकि मैं साफ निकल आया पर लोग मुझे शीघ्रपत्नी कह कर चिढ़ाने लगे। शीघ्रपत्नी जिसकी बीवी जल्दी निकल जाती है। मेरे मां बाप का दिल टूट गया और वो दोनो जल्द ही चल बसे। मेरा भी मन अब शादी ब्याह से उड़ गया था और मैं अकेले जीने लगा।"
विशाल के चेहरे पर जज्बातों बदले, "पिछले साल मेरे school का get together हुआ। वहां पता चला कि मेरे साथ पढ़ने वाली सलमा पर मुसीबत आई है। कच्ची उम्र में ही सलमा के पिता ने उसे एक बूढ़े की दूसरी बीवी बना दिया था। सलमा 35 साल की उम्र में 18 साल की बेटी सकीना और उससे 1 साल छोटी जुड़वा सानिया और सोफिया का इकलौता सहारा थी।"
"बूढ़े ने मरते हुए लाइफ इंश्योरेंस पर बेटियों का नाम लिखा था पर घर और कारोबार पहली बीवी के बेटों को मिला। बेटों ने जवान लड़कियों पर नजर गड़ा कर सलमा को कहा कि वह बेटियों को मिले पैसे उन्हें दे कर आराम से जिए। बेटियों को इनके हवाले करने से बेहतर सलमा उन्हे ले कर झोपड़ी में रहने लगी।"
"मैंने सलमा की सहेली से उसका पता लिया और उसे अपने घर पर बुलाया। मेरा घर वही है जहां मेरे मां बाप ने अपनी पूरी जिंदगी गुजार दी। एक कमरे में सब कुछ। मैंने सलमा को कहा कि वह मेरे घर की साफ सफाई करे और मेरे लिए खाना पकाए। बदले में मैं उसे पैसे दूंगा। मजबूर औरत को इतना सहारा काफी था। उसने फिकर नही की के मैं उसका बचपन का सहपाठी था। हमारी जिंदगी कुछ दिन ऐसे ही चलती रही।"
"इंसान को साफ घर और गर्म खाने की भी लत लग जाती है। सलमा और मेरा मिलना होता रहता था और उस से बात करना मुझे अच्छा लगता था। एक दिन सलमा बोल गई की अगले दिन जुड़वा बेटियों का 18वा जन्म दिन है। उस दिन मैंने काम से छुट्टी ली और सलमा को घर काम करता छोड़ लड़कियों से मिलने गया। मैं बस इतना चाहता था कि लड़कियों को अपने साथ अपने घर ले जाऊं और मां बेटियों को बाहर खाना खिलाकर खुशी के कुछ पल दूं।"
विशाल, "शीघ्रपत्नी!! वहां जा कर देखा तो कुछ गुंडे झोपड़ी को तोड़ कर अंदर की जवान लड़कियों को लूटना चाहते थे। मैंने उन सब शराबियों को मार कर भगाया और लड़कियों को अपने साथ अपने घर रहने को ले आया।"
"सलमा खुश थी कि मैंने उसकी बेटियों को बचाया पर जवान लड़कियों के साथ पराए मर्द के घर रहने को तैयार नहीं थी। मैं भी मन ही मन इसकी तयारी कर चुका था और मैंने सलमा से कहा कि वह मुझ से शादी कर ले और मुझे अपनी बेटियों का बाप बना दे तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी।"
"तीनों लड़कियां खुश हो गई और सलमा ने शर्माकर हां कर दिया। हम सब कोर्ट पहुंचे और लड़कियों को गवाह बनाकर मैंने सलमा से शादी कर ली।"
"आनन फानन में की गई शादी का हनीमून कैसे होगा? ये बात लड़कियों ने सोच ली थी और उन्होंने हमें तीन दिनों के लिए अलीबाग जाने की सलाह दी। आप को पता चला तो आप ने हमारे लिए पूरा बंगला बुक किया। उस रात सलमा किसी कुंवारी लड़की की तरह शर्मा रही थी और मैं खुशी में झूम रहा था। जब सलमा ने मुंह दिखाई की किंमत मांगी तो मैने उसे प्रभु राम की तरह एक बीवी का वादा करने की कोशिश की। पर सलमा को दूसरा वादा चाहिए था।"
"सलमा ने मुझ से वादा लिया की मैं उसकी बेटियों को हर हाल में, हर कीमत पर बचाऊंगा। मैं कभी सलमा के खिलाफ जा कर बेटियों के लिए फैसला नहीं लूंगा।"
"मैं सलमा का डर समझता हूं। लड़कियों के भाइयों ने उन पर बुरी नजर रखी थी तो सलमा मुझसे डर रखेगी। मैंने सच्चे मन से वादा किया और अगले 3 दिन तक 15 साल रुके जवानी के तूफान को आजाद छोड़ दिया। मैंने सलमा को सच्चे मन से चाहा है, चाहता हूं। पर…"
"मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि अकेले रहने वाला मर्द अगर अचानक जवानी के मेले में खो जाए तो उसके साथ क्या होगा? एक कमरे के घर में सब कुछ सामने होता है। वहीं रसोई भी होती है और वही बाथरूम भी। तीनों लड़कियां रात को ब्रा पैंटी निकाल कर छोटे छोटे कपड़ों में सोती हैं। रात में थोड़ी भी सर्दी हो तो मुझ से चिपक जाती हैं। सुबह नहाते टाइम ब्रा पैंटी के साथ कमीज ले जाती हैं पर सलवार बाहर आ कर पहनती हैं। मेरे अंदर से भूखा भेड़िया चिल्लाने लगता है पर मुझे उसे दबाना पड़ता है।"
"शायद ये इतना मुश्किल नहीं होता अगर मैं सलमा के साथ कुछ वक्त गुजार पाता। पर जब से हम लौटे हैं सलमा के नजदीक जाते ही कोई बेटी आ जाती हैं या रात को जग जाती है।"
"सर, मैंने वादा किया है कि मैं किसी भी कीमत पर किसी भी हाल में लड़कियों को बचाऊंगा। यानी अपनी जान की कीमत पर अपने हवस से उन्हें बचाऊंगा। मुझे सीरिया जाने दो सर। अगर मैं मर गया तो उन्हे अच्छे पैसे और नौकरी मिलेगी। अगर मैं लौट आया तो कम से कम मुझे कुछ दिन की शांति मिली होगी।"
प्रतीक ने विशाल से सोचने का वक्त मांगा और अपने घर चला गया।
घर पर उसके दोस्त विक्की और सन्नी अपनी लक्ष्मी आंटी को छेड़ते हुए गप्पे लड़ा रहे थे। लक्ष्मी को प्रतीक ने विशाल का किस्सा सुनाया और उसके सुझाव से सुन्न रह गया।
प्रतीक ने आंखे खोल कर देखा तो विशाल उसके सामने खड़ा था। सवाल अब भी वही था। क्या प्रतीक विशाल के साथ ऐसा करे या ना करे?
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प्रतीक, "विशाल, मैं तुम्हें अपना शिकारी कुत्ता कहता हूं क्योंकि मेरी नजरों में तुम मेरे दोस्त हो। तुम्हारी नज़र और समझ पर मुझे भरोसा है। अगर तुम Syria जाना चाहते हो तो मैं तुम्हें नहीं रोक सकता। बस एक छोटा काम कर के चले जाना।"
विशाल ने सर हिलाकर हां कहा तो प्रतीक ने काम बताया।
प्रतीक, "मेरे दोस्तों ने पालघर में एक बंगला बहुत सस्ते में खरीदा है। उन्हें डर है कि लालच में आकर उन्हें धोखा लेना पड़ा है। अगर तुम आज शुक्रवार सुबह वहां जाओ और बंगला कैसी हालत में है यह देख लो तो शनिवार रविवार की छुट्टी वहीं माना लेना। सोमवार को तुम मुझे बंगले के बारे में बताओ और मैं तुम्हारी सीरिया की टिकट तुम्हे दिला दूंगा। मंजूर है?"
विशाल (मुस्कुराते हुए), "आप नहीं चाहते कि मैं पालघर अकेले जाऊं। आप मेरे लिए holiday plan कर रहे हैं।"
प्रतीक, "ठीक है, हां। मैं चाहता हूं कि तुम एक छुट्टी मना कर आओ। पर यह भी सच है कि घर को देखने किसी को तो जाना होगा। अगर तुम अभी घर जाओ तो तुम्हारी बेटियां कॉलेज गई होंगी और उनके लौटने से पहले तुम और तुम्हारी सलमा पालघर में बंद होंगे। सोमवार को अगर तुम फिर भी सीरिया जाने पर अड़े हुए होगे तो मैं तुम्हें टिकट दे दूंगा।"
विशाल बड़ी मुश्किल से हां कहने तक रुका और अपने घर भाग गया। प्रतीक ने आंखे बंद करके सोचा, "बंदूक से गोली निकल गई है। हे भगवान, विशाल को बचा लेना क्योंकि अब गोली काहां रुकेगी वह तेरे हाथ में है।"
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विशाल हड़बड़ी में अपने घर आते हुए रास्ते को नही देख रहा था। इसी वजह से उसने सकीना को नही देखा पर सकीना ने विशाल को देख लिया और उसके पीछे दबे पांव घर तक आ गई।
विशाल ने यहां सलमा को अपने कपड़े बांधने को कहा और वहां सकीना ने फोन करके अपनी बहनों को कॉलेज से वापस बुला लिया। सकीना कुछ भूलने का नाटक करते हुए घर लौटी और विशाल को देख कर झूटमुट से चौंक गई। विशाल को बताना पड़ा कि वह सलमा को ले कर काम के लिए पालघर जा रहा है और तीनों बहनों को 2 दिन यहां अपना खयाल खुद रखना होगा।
सकीना ने सलमा ने लिपट कर उसे छोड़ने से मना कर दिया। सलमा ने कहा कि उसे डर है कि गुंडे उन्हे अकेला पा कर वापस हमला कर देंगे। विशाल ने समझाने की बहुत कोशिश की के वह सब यहां सुरक्षित हैं पर सकीना रोने लगी और विशाल चुप हो गया। तभी सानिया और सोफिया भी आ गई और विशाल को यकीन होने लगा कि यह सब सोचा हुआ था वरना तीनो बहने एक साथ क्यों कुछ भूलती।
सलमा बेचारी अपनी ममता और पति के प्यार में फंस गई थी। सलमा ने कहा कि विशाल को ऐतराज ना हो तो पूरा परिवार पालघर जाए। लड़कियां मान गई तो विशाल को भी मानना पड़ा।
सभी ने खाना खाया और लोकल ट्रेन से पालघर पहुंचे। बंगला तो फार्महाउस था जिसके चारों ओर हरियाली और खामोशी थी। विशाल ने मां बेटियों को घर में बिठा कर घर का चक्कर लगाया। एक कोने में गद्दे, कपड़े और टूटे हुए अजीब मशीन के जले हुए अवशेष छोड़ घर में सब कुछ अच्छा था।

सकीना, सानिया और सोफिया
औरतें रसोई में मिल कर कुछ खिचड़ी पकाने लगी तो विशाल ने घर को अंदर से देखा। 4 बेडरूम को देख विशाल के मन में लड्डू फूटे की आज उसे लड़कियां सलमा से दूर नहीं रख सकती। सारे बेडरूम को ठीक से जांचते हुए जब विशाल मास्टर बेडरूम में पहुंचा तब वहां की दराज में इंजेक्शन और दवाइयां देख कर डर गया।
विशाल ने देखा तो उसके फोन को यहां रेंज नहीं थी और उसने लैंडलाइन से प्रतीक को फोन किया।
विशाल, "सर, घर तो बहुत अच्छा है। पर क्या यहां नशेड़ी लोग रहते थे? मुझे एक कमरे में injection और दवाइयां मिली है।"
प्रतीक, "कैसी दवाइयां? नाम बता सकते हो?"
विशाल ने नाम पढ़ कर बताए तो प्रतीक हंसने लगा।
प्रतीक, "हरामी साला!! विशाल, यह घर हाफ़िज़ सईद का था और वो यहां लड़कियों को अच्छी बीवी बनना सिखाता था। पहली दवा फेंक दे पर मेरी बात मान और दूसरी दवा का 1 ml injection बनाकर अपने लौड़े के जड़ पर लगा दे। मुझ पर भरोसा कर, कल सुबह से तेरी बीवी तेरी गुलाम होगी। मगर पहली दवा के साथ अगर इसे मिलाया तो तेरा हथियार इतना फूल जायेगा कि तेरी बीवी वहां से भाग कर यहां आ जायेगी।"
विशाल ने प्रतीक को शुक्रिया कहा और खुद के लौड़े के जड़ पर injection लगा लिया। Injection लगते ही विशाल का लौड़ा खड़ा हो गया और उसे अपने गोटे फूलते हुए महसूस हुए। विशाल ने अपना 7 इंच लंबा, 2.5 इंच मोटा भाला पैंट में दबाकर धीरे धीरे उतरने लगा कि हॉल में शोर मच गया।

सलमा
*Pics from internet, credit to original photographer.