मैं मिडिल क्लास फैमिली से बेलोंग करती हु पति रमेश ४८ और मैं ३८ और मेरा राजा बेटा 20 साल का है। मेरा सब कुछ मेरा प्यारा बेटा अरुण है।वैसे मेरी एक बेटी भी है जिसकी शादी हो चुकी है।
और मैं सरला लोग बोलते है मैं बहुत सूंदर हूँ माधुरी दीक्षित की तरह ।
सरल जिंदगी था पर जिंदगी कब क्या हो पता नहीं कुछ मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ।
पात्र और भी है जो वक़्त से साथ २ जुड़ते जाएंगे
३८ साल की उमर में भी मैंने अपने आप को मेन्टेन किया हुआ है पर ये एक्सरसाइज नहीं पर अपने आप को बिजी रखने के लिए घर का काम ज्यादा से ज्यादा करना और आप लोगो को तो पता ही है जितना फिजिकल काम उतनी ही शरीर अपने आप मेन्टेन हो जाती है।
कोई ये नहीं कह सकता की मैं २० साल के बच्चे की माँ हूँ।
पर सच यही है।अरुन मेरे सुब कुछ मैं ये बार २ इस लिए बोल रही हु क्यों की वही है मेरी इस कहानी के पिछे।
और ये सुब शुरु हुआ पिछ्ली साल मेरे बर्थडे पर।पति के पास काम कुछ नहीं फिर भी बिजी इतने की मेरे लिए टाइम कुछ भी नही।
शयद मेरे से ज्यादा काम या दोस्ती इम्पोर्टेन्ट है उनके लिये।छोड़ो इन डिटेल्स को बैक टू स्टोरी - प्लान था बर्थडे पे डिनर बाहर करने का और वेट करते करते ९ बज गए पर मेरे हस्बैंड उस टाइम पे नहीं आये।हर औरत चाहती है पति के साथ ज्यादा से ज्यादा टाइम स्पेंड करना पर मेरे हबी को पसंद नहीं मेरे साथ टाइम स्पेंड करना।
वह रात के १०बजे घर आए और मेरे मूड को देख कर
बोले सॉरी कितना सिंपल है सॉरी बोलना जैसे सब कुछ पहले जैसा हो ।पर बोल क्या सकते है पति है साथ रहना है तो निभाना तो पडेगा।
मेरा ख़राब मूड देख के पति देव बोले यार बोला है न अरुन बड़ा हो गया है २० साल का जवान कॉलेज स्टूडेंट।
जहाँ जाना है उनके साथ जाओ एन्जॉय करो अपनी लाइफ अब घर की जिम्मेदारी उसको दो।
मै- बोली पति की जिम्मेदारी
वो बालो- यार प्लस आर्गुमेंट नहीं थक गया हु खाना खाओ और सो जाओ।
गुड़ नाईट बोल के वो सोने चले गए जैसे मैंने खाना बनाया था।
वरून के फ्रेंड का बर्थडे था तो खाना उसने नहीं खाना था और लेट भी आना था उसने।
खाना खाने का मन भी नहीं था और बनाया भी नहीं था सो कपडे चेंज किये और वेट करने लगी अरुन का आये तो गेट लॉक करुं।
अरून २० साल का हॅंडसम मेरा बेटा पढाई मैं टॉप बोल चल में तेज और रिश्ते निभाने में ईमानदार।ऐसा है मेरा अरुण।
सोचते २ कब आँख लग गई पता नहीं चला सपने में डोर बेल्ल बज रही है या हक़ीकत में पता नहीं पर कांनो में जब अरुन की आवाज़ पड़ी तो पता चला सपना नहीं हक़ीकत में अरुन आ गया है और आवाज़ से लग रहा है।गेट खोलो।
सामने अरुन खड़ा था।
अरुण-हाय मोम
अरून: पैकेट माँ को देते हुए हैप्पी बर्थडे मोम
सरला : क्या है इसमें
अरुन: खुद खोल के देख लो
सरला:बाद में देख लुंगी
अरुण-अभी देखो न माँ ।
सरला-कल देख लुंगी अभी नींद आ रही है।तुम जाके सो जाओ
अच्छा माँ आज की पार्टी कैसी रही
सरला: कौन सी पार्टी
अरुन: कौन से आज आप पापा के साथ डिनर पर जाने वाली थी।
सरला: दिखावटी हसी हस्ते हुए बढ़िया थी
अरुन : और पापा का गिफ्ट
सरला: बेटे जाके सो जाओ गुड नाइट।और अपने रूम में दोने चले गये।
सुबह
सरला किचन में नास्ता बना रही थी
रमेश ऑफिस के लिए रेडी हो रहा था और अरुन कॉलेज के लिये
अरुन गुड मॉर्निंग पापा
रमेश दिंनिंग टेबल पे गुड मॉर्निंग बेटे
अरुन : पापा कल रात डिनर डेट कैसे थी
रामेश : कौन सी डिनर डेट हम तो कल कही गए नहीं मैं लेट हो गया था ।
अरुन : पर माँ ने तो कुछ नहीं बनया
रामेश : बेटा अब तुम बड़े हो गए हो अपनी माँ का ख्याल रखा करो तुम डिनर पर मम्मीको ले जाना।
अरुन : पर पापा माँ आप के साथ जाना चाहती है और हस्बैंड आप हो और माँ को आप के साथ ख़ुशी मिलती है।
रमेश : कम ऑन बेटा अब तुम भी शुरु मत हो जाओ।
रमेश-सरला ब्रेकफास्ट कहा है । ऑफिस के लिए लेट हो रहा है।
सरला : लाई ५ मिनट में।
फिर सब ब्रेकफास्ट करते है और रमेश ऑफिस और अरुन कॉलेज के लिए चले जाते है।
और सरला घर पर रोज की तरह अकेली रह जाती है
पिछले एक साल से यही रूटीन था उसका पहले अपनी बड़ी बेटी शिल्पा के साथ टाइम पास हो जाता था।
पर उसकी शादी के बाद वो फिर से अकेली रह गई
पति साथ देता नहीं बेटी अपनी ससुराल में और बेटे के साथ जाना नहीं चाहती।
पर शायद किस्मत कौन बदल सकता है ।
अरुन के कॉलेज की छुट्टी हो गई किसी प्रोफेसर की डेथ की बजह से और वो टाइम से पहले घर आ गया।
सरला घर पर डोर वेल बजी सोचा कौन है इस वक़्त
दरवजा खोला तो अरुन खड़ा था
सरला: अरुन क्या हुआ जल्दी आ गया
अरुन: माँ जल्दी छुट्टी कर दिए प्रोफेसर की डेथ की बजह से।
सरला: ओके लंच करना है
अरुन: नहीं मोम
सरला: क्यों
अरुन: क्यों क्यों की हम लंच पे बाहर जा रहे है ।
मै और आप।
सरला: मुझे नहीं जाना।
अरुन: पर क्यों माँ । पापा ने कहा था आप को ले कर जाने के लिये।
सरला: मुझे नहीं जाना बोली ना
अरुन : पर माँ क्यों मेरे साथ जाने में प्रॉब्लम है
सरला: तेरे साथ जाने में प्रॉब्लम नहीं है प्रॉब्लम है जिसको जाना चाहिए वो नहीं जाता।
अरुन : क्यों माँ वो कभी नहीं जाते आप को पता है फिर क्यों ज़िद करना।
सरला: रहने दे तू नहीं समझेगा।
अरुन : माँ क्यों नहीं समझुंगा।
सरला: क्यों की तू अभी बच्चा है
अरुन :माँ बच्चा नहीं मैं २० साल का एडल्ट हूँ।
सरला: पता है
अरुन :फिर बताओ ना
सरला : बेटा हर औरत या लड़की की इच्छा होती है की उसका बॉयफ्रेंड उसे ले जाये या हस्बैंड पर मेरे साथ तो शादी से पहले तेरे नाना जी ने कही जाने नहीं दिया और शादी के बाद तेरे पापा कहीं लेके नहीं गये।
तेरे साथ जा के क्या बोलू लोगो से बेटे के साथ लंच पे डिनर पे मूवी देखने एक मा अपने बेटे के साथ आती है क्यों की उसका पति उसको प्यार नहीं करता , उसके साथ जाना नहीं चाहता।
अरून: पर माँ हम से कोई क्यों पूछेगा की हम कौन है और हम क्यों बतायेंगे ।दूसरी बात क्या माँ बेटा साथ जा नहीं सकते।बोलो मोम
सरला: क्या बोलु
यही की आप लंच पे बाहर चल रही हो या नही
सरला: पर खाना बना लिया है उसका क्या।
अरुन:इटस ओके उसके बारे में बाद में सोचेंगे।
सरला: मुझे थोड़ा टाइम चाहिए सोचने के लिये
अरुन :पर मोम
सरला: देख अरुन जो बात आज तक नहीं हुई और अब उसे करने में सोचना तो पडेगा।
अरुन ओके माँ आप की मर्ज़ी और अपने रूम में चला जाता है।
सरला अपने बेटे को नाराज़ भी नहीं करना चाहती और अपने सपने पूरे न होने का दर्द भी बरदास्त नहीं कर पाती और रोने लगती है
सोचति है क्या करूँ।
रोते २ कब आँख लग जाती है पता नहीं चलता।
कुछ टाइम बाद जब आँख खुलती है तो अरुन के रूम में जाती है खाने का बोलने पर अरुन मन कर देता है
अरुण:भूख नहीं है
सरला: देख अरुन परेशान मत कर मैं वैसे भी तेरे पापा की बजह से परेशान हू।
अरुन: वो परेशान नहीं करते आप खुद परेशान होती हो जब उन्होंने बोला है तो उनकी बात मान क्यों नहीं लेती
और अपनी लाइफ एन्जॉय क्यों नहीं करती।
वो भी तो अपनी लाइफ एन्जॉय करते है अपने फ्रेंडस के साथ अपने ऑफिस में ।आप क्यों नहीं जाती वो भी अपने बेटे के साथ ओनली फॉर लंच।
सरला; काफी देर सोचने के बाद ओके
पर कुछ गलत हुआ उसके ज़िम्मेदार तुम होंगे।
करुन : ओके डन।पर क्या गलत होगा।
सरला: आज नहीं फिर कभी।
उस दिन कुछ नहीं हुआ
अरून अपने दोस्तों से मिलने चला गया सरला घर के कामो मैं बिजी हो गई शम को रमेश ऑफिस से लेट आया खाना खाया और सो गया।
कल दिन वही रोज का डेली रूटीन अरुन कॉलेज और रमेश ऑफिस और सरला घर पर अकेली पर नए दर्द के साथ।
उसके लिए नया नहीं और सायद हर औरत के साथ हर महिने का दर्द पिरियडस
कुछ को कम तो कुछ को ज्यादा पर सरला के साथ बचपन से ही ज्यादा मम्मीसे बोलो तो बोली शादी के बाद कम हो जायेगा पर उसका नहीं हुआ और वो दर्द बदस्तूर जारी है और आज सुबह वो पीरियड्स से हो गई।
अरुण: ओके नहीं चलना तो कोई बात नहीं दवाई तो ले लो
सरला: नहीं ज़रूरत नहीं ठीक हू अभी।
अरुन :नहीं मैं पेनकिलर ले आया ले लो ।
सरला: अरुन रहने दे बोला न अपने आप ठीक हो जाएगा।अब वो उसे कैसे सम्झाए।
तभी अरुन को कुछ याद आया बोला-
माँ कहाँ दर्द हो रहा है।
सरला:बोला न शरीर में
अरून :मगर ज्यादा कहाँ हो रहा है।
सरला: झुँझलाते हुए कमर में।
अरुन: समझ गया उसे याद आया उसके फ्रेंड्स बात कर रहे थे की जब लड़कियों की पीरियड्स होते है तो कुछ लड़कियों को पेन भी होता है
हो न हो माँ को पीरियड्स आये है।
सरला: अरुन को चुप देख कर क्या हुआ
अरुन:कुछ नहीं माँ आप आराम करो और कभी चलेंगे।
सरला:मन ही मन सोचते हुए इसे क्या हुआ कैसे मान गया।
अब वो क्या जाने आज के बच्चे कितने फॉरवर्ड हो गये है।
टाइम ऐसे ही गुज़रने लगा ।
रोज अरुन सरला की तबीअत पूछता और कुछ नहीं बोलता।
५थ डे अरुन कॉलेज से आया और बोला- माँ चले आज कहीं बाहर।
सरला: सोचते हुआ ४ दिन से कुछ नहीं बोला और आज डायरेक्ट पूछ रहा है।
आज सरला भी मना नहीं कर पाई
सरला -ओके
इन ४ दिनों मैं सरला ने काफी सोचा और डीसाइड किया अब वो और अपने पति का वेट नहीं करेगी अगर उसका बेटा उसका साथ दे रहा है तो क्यों न लाइफ में रंग भरा जाये कब तक घुट २ के अपनी ज़िन्दगी जियेगी।
अरुन: माँ क्या हुआ
सरला: कुछ नहीं कहाँ चलना है
अरुन :आप की मर्जि
सरला: अरुन घर का कुछ समान लाना है चलोगे मेरे साथ।
अरुन: क्यों नहीं माँ चले बाइक पे चले या ऑटो से
सरला :जैसे तेरे मन करे।
अरुन :चले बाइक से चलते है।
सरला: मैं तो कभी तेरी बाइक पे नहीं बैठी।
अरुन :कोई बात नहीं आज बैठ जाओ
ओर दोनों बाजार चले जाते हे
सरला को कुछ अजीब लगा बेटे के साथ बाइक पे बैठ के।
सरला : यही वो दिन था जिस ने मेरी और मेरे बेटे की ज़िन्दगी बदल दी ।
उस दिन के बाद से किसी भी काम के लिए मेरी फर्स्ट चॉइस मेरा बेटा होता और साथ बाहर जाने आने से हम दोनों मैं जो थोड़ा बहुत गैप था वो भर गया।
ओर हम और भी फ्री हो गये।
कैसे एक महीना हो गया बेटे के साथ बाहर जाते हुए
सरला: अरुन कल कॉलेज से जल्दी आ जाना बाजार जाना है कुछ घर का सामन लाने।
अरून: कल क्यों आज चलते है
सरला: पर जाना कल है।
अरुन: कल आप नहीं जओगी।
सरला: क्यों कल क्या है
अरुन; मन ही मन कल से आप के पीरियड्स आ जाएगे और आप नहीं जाओगी
सरला: क्या हुआ क्या सोच रहा है
अरुन: कुछ नहीं
सरला: कुछ तो
अरुण: कुछ नहीं मैं बोल रहा था कल आप की तबीयत ख़राब हो जायेगी फिर कैसे जाऒगी।
सरला: क्यों मेरी तबीयत क्यों ख़राब होगी।
अरुण: कुछ नहीं बोला।
सरला: बोल न ।
अरुण कैसे बोले
ओके कल चलेंगे।
कल दिन जैसे के अरुन ने आईडिया लगाये था सरला के पीरियड्स स्टार्ट हो गये
अरुन: कॉलेज से जल्दी लौट आया
सरला से चले माँ
सरला: मन में सोचते हुए इसे कैसे पता की पीरियड्स की बजह से मेरी तबीयत ख़राब हो जायेगी।
अरुण; क्या हुआ माँ ।चल।
सरला: नहीं आज नहीं फिर कभी।
अरुण: मैंने बोला था न की आज आप नहीं जाऒगी।
सरला: हाँ बाबा हो गई पर तूझे कैसे पता ।
अरुण: बस ऐसे ही गेस किया।ब बैक मैं पेन है ना।
सरला: है पर तुझे कैसे पता।
अरुन: पिछले महिने भी आप की इस दिन तबीयत ख़राब हुई थी।
सरला: मन ही मन क्या इसे पता है की मेरे पीरियड्स आ गये है।
तभी अरुन माँ आज फ्राइडे है ट्यूसडे को चलेंगे।
अब सरला को पक्का यकीं हो गया की इसको पता है की मेरी क्या प्रॉब्लम है।
सरला:ओके अरुण।
इसी कसमकस में सरला की ५ दिन बीत गये की अरुन को पता है या नहीं । या उसको पूछे की नही
कैसे पूछे वो उसका बेटा था पर एक महिने में सरला काफी हद तक अरुन से खुल गई थी।
और ट्यूसडे भी आ गया ।
और अरुन बिना सरला के बोले कॉलेज से जल्दी आ गया।
सरला: आज जल्दी कैसे
आ: बाजार नहीं जाना।
सरला: तुझे कैसे पता की आज जाना है
अरुण: मुह से निकल गया आज ५बा दिन है
सरला: मतलब
अरुण: कुछ नहि।
सरला को अब यकीन हो गया की अरुन ने गेस लगा के सही पता लगा लिया है की मेरे पीरियड्स है।
सरला ओके रेडी होकर आती हू।
चल तू भी रेड़ी हो जा।
अरुण:ओके मोम।